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Mahender Pal Arya
Guest
परमात्मा किये कर्मों का फल अवश्य देते हैं, वह किसी को क्षमा नहीं करते ||
वैदिक मान्यता है किये कर्मों का फल भोगना ही पड़ेगा, जिसे पाप और पूण्य कहा जाता है। पाप का सजा, और पूण्य का जज़ा मिलना है । अब कोई यह कहे की पाप तो परमात्मा क्षमा करदेते हैं यह वैदिक मान्यता नही है, पाप कर्मोंसे जीवात्मा सजा भोगे बिना बच नही सकता ।
परमात्मा किये पाप को माफ़ नहीं किन्तु उन किये कर्मों का सजा देकर जीवात्मा पर दया करते हैं, ताकि सजा पा कर वह दोबारा उसे न करे। दोबारा उस पाप कर्मों को ना करने से बचना यही परमात्मा की दया है। भली प्रकार समझने का प्रयास करें ।
कोई यह समझे, या कहे और मानें,की परमात्मा दयालु है तो वह हमारे किये पापों को क्षमा कर देंगे । यह कभी नही होगा, कारण यह समझ कर जीवात्मा फिर पाप करेगा की परमात्मा दयालु है तो हमें फिर माफ़ कर देंगे, इसका मतलब होगा फिर पाप करने का एक अवसर पाना, यह दोष लगेगा परमात्मा पर । यही कारण है परमात्मा कभी भी किसी पाप से जीवात्मा को छुटकारा नहीं देंगे या नहीं हो सकता,यह है वैदिक मान्यता ।
वैदिक मान्यता छोड़ धरती पर जितने भी मत पंथ है सब की मान्यता है अल्लह, गॉड, यहोवा,आदि जितने भी हैं वह सब मानते हैं पापों को हम ईश्वर व अल्लह की दया से माफ़ी पा जायेंगे अथवा अल्लाह या गॉड हमें माफ़ कर देंगे।
जैसा बाईबिल वाले मानते हैं, हजरत ईसा ने हम सब के किये पापों को अपने ऊपर ले लिया हम ईसाईयों को वह पाप मुक्त करा दिया । पहली बात ईसा एक पैगम्बर या ईश्वर पुत्र है, बाईबिल अनुसार । अब हमारा किये कर्मों का फल किसी और को दे तो वह गॉड पर दोष लगेगा पहली बात , दूसरी बात होगी उस गॉड की यह पहचान नहीं की किसके किएकर्मों का फल वह किसे दे रहा है ।
वह गॉड न्यायकारी नही हो सकता, यह सरासर अन्याय होगा किसीके किये कर्मोंका फल किसी और को दे । याद रखना यह दोष गॉड पर लग रहा है, परमात्मा का यह दोष पूर्ण कार्य ही नहीं है । उसका परमात्मा का होना सम्भव ही नही। कारण परमात्मा पर दोष लगना और परमात्मा से उसे वचित होना है । ईसाई लोगों के गॉड पर यह दोष लग रहा है,गॉड परमात्मा का होना सम्भव नहीं ।
दूसरी बात यह भी होगी, की सिर्फ हमारे पापों को ही लेंगे वह अपने ऊपर इसका मतलब यह भी होगा उसे पापी भी होना पड़ेगा। पाप एक जगह से दूसरी जगह जायेगी तो पाप भी उसीका हो गया, तो वह पापी ठहरेगा,ईसाईयों का गॉड पापी है ।
ठीक यही हाल इस्लाम का भी है, इस्लाम की मान्यता है अल्लाह किये पापों को माफ़ कर देंगे । अवश्य ध्यान रहे सिर्फ मुसलमानों के ही गुनाह माफ़ करेंगे अल्लाह काफिरों का नही । कारण अल्लाह सिर्फ मुसलमानों की ही हिमायती हैं गैर मुस्लिमों के नहीं । अल्लाह गैर मुस्लिमों को हमेशा हमेशा दोजख में ही रखेंगे, यहाँ तक कहा कुरान में की काफिरों को दोजख के आग का ईंधन बनाया जायगा ।
यह है अल्लाह और अल्लाह का इंसाफ यही कारण है की अल्लाह सिर्फ मुसलमानों के गुनाहों को माफ़ करेंगे। और मुसलमानों के लिए अल्लाह के हबीब हज़रत मुहम्मद साहब भी अल्लाह से सुफरिश करेंगे।
इस्लाम वालों की मान्यता है की कलमा, रोज़ा, नमाज़, हज़, ज़कात, से ही पाप गुनाह को अल्लाह माफ़ करदेते हैं । इसलिए कलमा पढ़ कर मुस्लमान बनो तो पाप माफ़ हो सकते हैं उससे पहले नहीं ।
भारत के स्टार ओम् पूरी ने भी तो यही किया पाप से मुक्ति पाने का साधन है इस्लाम । और मुक्ति दिलाने वाला कुरानी इस्लामी, अल्लाह ही है ।
परंतु दिमाग रखने वाला यह मानव क्यों नहीं सोचते की पाप से मुक्ति जो चाहेगा? उसे पापी कहा जायगा जिसने पाप किया और उससे मुक्ति भी पाना चाहा यह काम पापियों का ही होगा पाप से छुटकारा पाने का, छुटकारा देने वाला छुटकारा का लोभ देने वाला यह सबके सब दोषी होंगे ।
कारण पाप जो करे उस पाप की सजा जो माफ़ कर दे, उसके लिए यह कहे की तुम हमारे पास आव कलमा पढ़ो हम तुम्हारे पाप को माफ़ कर देंगें यह सबके सब दोषी होंगे । इनका गॉड होना या बनना अथवा अल्लाह का होना या फिर बनना तो सम्भव है किन्तु परमात्मा का होना सम्भव नही ।
यही सब भेद और अन्तर है परमात्मा में, और गॉड तथा अल्लाह में जिसे दुनिया के लोग जाने बिना ही सब को एक ही मानने लगे और मान रहे हैं । यह सरासर अन्याय है ईश्वर पर दोषारोपण ही है । भली प्रकार समझने की ज़रूरत है ईश्वर और अल्लाह के भेद को सही सही जानना होगा ।
परमात्मा का यह उपदेश वेद में कहीं नहीं, की वेद को मानों तो तुम्हारे पाप क्षमा हो जायगा या पाप से मुक्ति मिलेंगे । वेद में इस प्रकार लोभ और लालच की बात ही नहीं है, भली प्रकार इसे जानें समझें, और मानवता की रक्षा करें, धन्यवाद के साथ । महेन्द्रपाल आर्य,वैदिकप्रवक्ता,दिल्ली , 2 मार्च 21
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वैदिक मान्यता है किये कर्मों का फल भोगना ही पड़ेगा, जिसे पाप और पूण्य कहा जाता है। पाप का सजा, और पूण्य का जज़ा मिलना है । अब कोई यह कहे की पाप तो परमात्मा क्षमा करदेते हैं यह वैदिक मान्यता नही है, पाप कर्मोंसे जीवात्मा सजा भोगे बिना बच नही सकता ।
परमात्मा किये पाप को माफ़ नहीं किन्तु उन किये कर्मों का सजा देकर जीवात्मा पर दया करते हैं, ताकि सजा पा कर वह दोबारा उसे न करे। दोबारा उस पाप कर्मों को ना करने से बचना यही परमात्मा की दया है। भली प्रकार समझने का प्रयास करें ।
कोई यह समझे, या कहे और मानें,की परमात्मा दयालु है तो वह हमारे किये पापों को क्षमा कर देंगे । यह कभी नही होगा, कारण यह समझ कर जीवात्मा फिर पाप करेगा की परमात्मा दयालु है तो हमें फिर माफ़ कर देंगे, इसका मतलब होगा फिर पाप करने का एक अवसर पाना, यह दोष लगेगा परमात्मा पर । यही कारण है परमात्मा कभी भी किसी पाप से जीवात्मा को छुटकारा नहीं देंगे या नहीं हो सकता,यह है वैदिक मान्यता ।
वैदिक मान्यता छोड़ धरती पर जितने भी मत पंथ है सब की मान्यता है अल्लह, गॉड, यहोवा,आदि जितने भी हैं वह सब मानते हैं पापों को हम ईश्वर व अल्लह की दया से माफ़ी पा जायेंगे अथवा अल्लाह या गॉड हमें माफ़ कर देंगे।
जैसा बाईबिल वाले मानते हैं, हजरत ईसा ने हम सब के किये पापों को अपने ऊपर ले लिया हम ईसाईयों को वह पाप मुक्त करा दिया । पहली बात ईसा एक पैगम्बर या ईश्वर पुत्र है, बाईबिल अनुसार । अब हमारा किये कर्मों का फल किसी और को दे तो वह गॉड पर दोष लगेगा पहली बात , दूसरी बात होगी उस गॉड की यह पहचान नहीं की किसके किएकर्मों का फल वह किसे दे रहा है ।
वह गॉड न्यायकारी नही हो सकता, यह सरासर अन्याय होगा किसीके किये कर्मोंका फल किसी और को दे । याद रखना यह दोष गॉड पर लग रहा है, परमात्मा का यह दोष पूर्ण कार्य ही नहीं है । उसका परमात्मा का होना सम्भव ही नही। कारण परमात्मा पर दोष लगना और परमात्मा से उसे वचित होना है । ईसाई लोगों के गॉड पर यह दोष लग रहा है,गॉड परमात्मा का होना सम्भव नहीं ।
दूसरी बात यह भी होगी, की सिर्फ हमारे पापों को ही लेंगे वह अपने ऊपर इसका मतलब यह भी होगा उसे पापी भी होना पड़ेगा। पाप एक जगह से दूसरी जगह जायेगी तो पाप भी उसीका हो गया, तो वह पापी ठहरेगा,ईसाईयों का गॉड पापी है ।
ठीक यही हाल इस्लाम का भी है, इस्लाम की मान्यता है अल्लाह किये पापों को माफ़ कर देंगे । अवश्य ध्यान रहे सिर्फ मुसलमानों के ही गुनाह माफ़ करेंगे अल्लाह काफिरों का नही । कारण अल्लाह सिर्फ मुसलमानों की ही हिमायती हैं गैर मुस्लिमों के नहीं । अल्लाह गैर मुस्लिमों को हमेशा हमेशा दोजख में ही रखेंगे, यहाँ तक कहा कुरान में की काफिरों को दोजख के आग का ईंधन बनाया जायगा ।
यह है अल्लाह और अल्लाह का इंसाफ यही कारण है की अल्लाह सिर्फ मुसलमानों के गुनाहों को माफ़ करेंगे। और मुसलमानों के लिए अल्लाह के हबीब हज़रत मुहम्मद साहब भी अल्लाह से सुफरिश करेंगे।
इस्लाम वालों की मान्यता है की कलमा, रोज़ा, नमाज़, हज़, ज़कात, से ही पाप गुनाह को अल्लाह माफ़ करदेते हैं । इसलिए कलमा पढ़ कर मुस्लमान बनो तो पाप माफ़ हो सकते हैं उससे पहले नहीं ।
भारत के स्टार ओम् पूरी ने भी तो यही किया पाप से मुक्ति पाने का साधन है इस्लाम । और मुक्ति दिलाने वाला कुरानी इस्लामी, अल्लाह ही है ।
परंतु दिमाग रखने वाला यह मानव क्यों नहीं सोचते की पाप से मुक्ति जो चाहेगा? उसे पापी कहा जायगा जिसने पाप किया और उससे मुक्ति भी पाना चाहा यह काम पापियों का ही होगा पाप से छुटकारा पाने का, छुटकारा देने वाला छुटकारा का लोभ देने वाला यह सबके सब दोषी होंगे ।
कारण पाप जो करे उस पाप की सजा जो माफ़ कर दे, उसके लिए यह कहे की तुम हमारे पास आव कलमा पढ़ो हम तुम्हारे पाप को माफ़ कर देंगें यह सबके सब दोषी होंगे । इनका गॉड होना या बनना अथवा अल्लाह का होना या फिर बनना तो सम्भव है किन्तु परमात्मा का होना सम्भव नही ।
यही सब भेद और अन्तर है परमात्मा में, और गॉड तथा अल्लाह में जिसे दुनिया के लोग जाने बिना ही सब को एक ही मानने लगे और मान रहे हैं । यह सरासर अन्याय है ईश्वर पर दोषारोपण ही है । भली प्रकार समझने की ज़रूरत है ईश्वर और अल्लाह के भेद को सही सही जानना होगा ।
परमात्मा का यह उपदेश वेद में कहीं नहीं, की वेद को मानों तो तुम्हारे पाप क्षमा हो जायगा या पाप से मुक्ति मिलेंगे । वेद में इस प्रकार लोभ और लालच की बात ही नहीं है, भली प्रकार इसे जानें समझें, और मानवता की रक्षा करें, धन्यवाद के साथ । महेन्द्रपाल आर्य,वैदिकप्रवक्ता,दिल्ली , 2 मार्च 21
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