स्वामी विवेकानंद सम्मान

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राष्ट्र के नव-निर्माण, पुनरुत्थान और विकास का कार्य किसी एक संस्था या किसी एक व्यक्ति पर निर्भर नहीं है | अनेकानेक संस्थाएँ इस दिशा में कार्य कर रहीं हैं | “इदं न मम, इदं राष्ट्राय स्वाहा’ कहते हुए अनगिनत महानुभावों ने, विभूतियों ने अपना जीवन राष्ट्र-सेवा के यज्ञ में समिधा के समान समर्पित किया दिया है |
जिस प्रकार हिमगिरि अपने आपको धीरे – धीरे गलाकर लोक-कल्याण के लिए जल-प्रवाह का निर्माण करते रहता है, वैसे ही यश, कीर्ति, प्रतिष्ठा की चाह किये बिना ये विभूतियाँ मौन रूप से अपनी साधना करते रहती हैं | हमारा भी कर्तव्य बनता है कि हम ऐसे निःस्वार्थी महानुभावों के प्रति कृतज्ञ रहें, उनके त्याग-तपस्या का स्मरण रखें | कृतज्ञता की अभिव्यक्ति के इसी भाव के साथ गीता परिवार द्वारा ऐसे महानुभावों को “स्वामी विवेकानंद सम्मान’ अर्पित किया जाता है| स्वामी विवेकानंद को गीता परिवार ने एक तत्व के रूप में स्वीकार किया है | भगवद्भक्ति, भगवद्गीता, भारत माता और विज्ञान-दृष्टि इन सभी तत्वों का समन्वय जिनमे हैं वो हैं – स्वामी विवेकानंद | राष्ट्र निर्माण में उल्लेखनीय योगदान देनेवाले सेवाव्रती के पूजन से सभी को प्रेरणा मिलती है।

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