हायरे मानव कहलने वालों इसी कलाम को सच माना ?

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Mahender Pal Arya

Guest
https://youtu.be/d3C2f-y0EOY
है जवाब तो उलामाये दीन लेकर सामने आयें और बैठ कर हम चर्चा करते है सत्य औरअसत्य का निर्णय पढ़ी लिखी जनता की अदालत से फैसला लिया जाय|
हायरे मानव कहलने वालों इसी कलाम को सच माना ?
तेरी अल्लाह की कलाम, में एक कुंवारी लड़की के कुंवारी पण को भंग किया या उसकी शील भंग किसके द्वारा हुवा इसका भी खुलासा नहीं हैं इस भाष्य में– फूंक मार ने से वह गर्भवती हुई |
और उसके कितने दिनों के बाद संतान को जन्म दिया ? इसकी कोई चर्चा नहीं है यह लिखा गया की जब प्रसव वेदना उठा और गैब की आवाज से वह वेदना ख़तम हो गई, यह कितनी अमर्यादित बातें है ?
दुनिया में एक माँ को गर्भ ठहरने के बाद कम से कम नौ {9} महीने के बाद संतान को जन्म देती है अल्लाह के पास यह सारा काम फ़ौरन हो रहा है यह भी सृष्टि नियम के विरुद्ध बातें है –
मरियम जहाँ बैठी थी वहां से हटने को कहा गया और एक खजूर के पेड़ के नीचे बैठने का हुक्म अल्लाह ने दिया – उसके पहले अल्लाह ने उस खजूर के नीचे नहरें जारी करदी और वह नहर कहाँ से कहाँ तक जारी हुवा उसकी भी कोई चर्चा नहीं है यहाँ –
और यह बताया गया की पानी साफ़ सुथरी और मीठी पानी जारी हो गया-और खाने के लिए बताया गया की खजूर भी पेड़ में लग गये- यह भी लिखा है की वह सुखा था पेड़ फिर लिखा है के पेड़ में खजूर लगे थे – आगे बताया गया की मरियम उस खजूर के पेड़ को हिलाने से पके पके खजूर गिरेंगे जो तुम्हारे खाने और पीने के लिए अल्लाह रब्बुल आलमीन ने यह सभी दिया है खूब खाव पियो मजेसे रहो अपने दिल को छोटा न करना और दुःख भी न मानना |
आश्चर्य की बात है की जो महिला अभी अभी एक शिशु को जन्म दिया वहाँ मरियम का प्रसव कराने वाली दाई कौन थीं ? कारण अल्लाह के सभी फ़रिश्ते पुरुष ही होते हैं, और पैगम्बर भी पुरुष ही होते हैं ? तो मरियम के प्रसव कराने या संतान को जन्म देने में किसी की भी सहयोग के बिना सब हो गया ? क्या मरियम के रक्त श्राब भी नहीं हुवा ? उसे साफ सफाई किये बिना मरियम स्वस्थ हो गई या स्वस्थ रही- और खजूर के पेड़ को भी हिला कर खजूर खाने लगी ? यह सभी बातें सच होना संभव है अगर हाँ तो किस तर्क पर संभव हो रहा है ?
अब खजूर के पेड़ को हिलाने पर पके पके खजूर निचे गिरेंगे लिखा है- एक महिला जो अभी अभी एक संतान को जन्म दिया और उसीसे खजूर के पेड़ को हिलाने का आदेश दिया जा रहा है – वह खजूर का पेड़ कितना बड़ा था यह भी नहीं बताया गया –
और खूबी की बात देखें इस कुरानी किस्से का, की खजूर के जड़ को हिलाना एक महिला के लिए संभव हो रहा है ? वह महिला जिन्हों ने अभी अभी संतान को जन्म दिया – उस अरब के रेतीले स्थान में धुप से बचने के लिए भी कोई व्यबस्था नहीं जैसे पशु भी इसी प्रकार उस इलाके में अपना बच्चे को जन्म देता है ठीक उसी प्रकार मानवों के लिए संभव है या उचित है ?
यह किस्सा है कुरान का, न मालूम अल्लाह ने और अल्लाह की इस कलाम के भाष्य करने वालों के दिमाग में भी नहीं आई की यह बातें सत्य हो सकता है क्या या इसपर कोई सवाल उठा सकता है या नहीं ? इसपर भी ध्यान न तो अल्लाह ने दिया और न अल्लाह के बन्दों ने ?
सिर्फ खजूर खाकर और नहर के पानी को पी कर एक महिला अपना जीवन जी रही है ? आगे यह भी बताया की कोई इंसान सामने आये तो उनसे बातें न करना और बताना के अल्लाह के नाम से मैं रोज़े से हूँ – आगे और लिखा की मरियम के नवजात शिशु हजरत ईसा ने पहला वाक्य बोला मेरी माँ बे गुनाह है – एक नवजात शिशु से बातें करना यह कौन सा विज्ञानं है अल्लाह का ? इस्लाम वाले इसे पत्थर की लकीर मानते हैं हाय रे इंसान कहलाने वाले तू अपनी अक्लसे कब काम लेगा ?

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