|| परमात्मा के लिए यह सोचना ही अज्ञानता है ||

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Mahender Pal Arya

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|| परमात्मा के लिए यह सोचना ही अज्ञानता है ||

जो लोग यह सोच ते है की परमात्मा स्वगुण और निर्गुण भी है इसीलिए वह साकार और निराकार दोनों है, आइये इसे हम भली प्रकार समझते है | एक परमात्मा ही है जिसमें दो परस्पर विरोधी गुण है, जिसे हम स्वगुण और निर्गुण कहते है | इसी स्वगुण और निर्गुण को अगर समझ लेते हैं तो साकार और निराकार समझने में आसानी होगी |

किसी मनुष्य में दो विरोधी गुण नही होते लेकिन परमात्मा में दो विरोधी गुण है, जो स्वगुण और निर्गुण कहा जाता है | इस सगुण और निर्गुण को साकार और निराकार में मानना या जानना सर्वथा अज्ञानता है | कारण स्वगुण शब्द का अर्थ होता है गुण सहित अर्थात जो गुण उसमें है, उसमें वो स्वगुण जैसा सृष्टि की रचना करने में परमात्मा स्वगुण है, उसको स्थिति में लाने में परमात्मा स्वगुण है, उसका प्रलय करने में परमात्मा स्वगुण है, मनुष्य मात्र के किये हुए कर्मों का फल देने में परमात्मा स्वगुण है |

ठीक इसी प्रकार निर्गुण को भी समझ लेना चहिये, परमात्मा सोने में निर्गुण है, खाने-पिने, उठने-बैठने,में निर्गुण है, मानव कृत कार्य करने में परमात्मा निर्गुण है अर्थात परमात्मा के जिम्में में जो काम है उस काम को अंजाम देने में वो स्वगुण है | जो काम उसके जिम्में में नही है उसमें वो निर्गुण है जैसा हल चलाने में निर्गुण है, खेती करने में निर्गुण है, धरती पर जन्म लेने में निर्गुण है क्यूंकि वो अजन्मा है संतान उत्पत्ति करने में वह निर्गुण है | इतने सारे प्रमाण पाने के बाद भी कोई कहे परमात्मा साकार और निराकार दोनों है, मेरे विचार से अविलम्ब उन्हें अपना दिमागी इलाज करा लेना चाहिए |

इस प्रकार स्वगुण और निर्गुण शब्द को साकार और निराकार में बाँटना सर्वथा निषेध है और अज्ञानता भी कारण परमात्मा निराकार ही है, साकार नही | परमात्मा के साकार होने पर अनेक दोष लगेंगे, जैसा साकार होने पर एक स्थान विशेष ही रह जायेंगे सर्वव्यापकता समाप्त हो जाएगी | ये सब सोचने और समझने की बात है, जो लोग बिना सोचे समझे परमात्मा को साकार मानते है इन्हें इसका आभास ही नही के सर्वव्यापक परमात्मा को एक सिमित दायरे में बाँध देना जो सरासर गलत है | परमात्मा सूक्ष्म से भी सूक्ष्म है, यही कारण है की वो निराकार है, साकार होने पर सूक्ष्म के स्थान में स्थूल होना पड़ेगा | यही कारण है के वेद में परमात्मा के लिए अछूक्रम अकायम शब्द आया है, इसे भली प्रकार जानकर समझकर विचार करने पर ही परमात्मा के बारे में निर्णय लिया जाना सम्भव होगा | महेन्द्र पाल आर्य 13/7/2021

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